FII, DII और Nifty के बीच का संबंध काफी दिलचस्प और layered है - चलिए इसे आसान भाषा में समझते हैं:
🔗 FII, DII और Nifty के बीच संबंध
🧭 1. मार्केट मूवमेंट का इंजन
- FII (Foreign Institutional Investors) और DII (Domestic Institutional Investors) बड़े पैमाने पर ट्रेड करते हैं।
- जब FII और DII दोनों खरीदारी करते हैं, तो Nifty में तेजी आती है।
- अगर FII बिकवाली करते हैं और DII सपोर्ट नहीं करते, तो Nifty में गिरावट संभव है।
2. Net Investment vs Nifty Trend
- FII की बिकवाली से बाजार में अस्थिरता आती है, जबकि DII की खरीदारी से स्थिरता मिलती है।
3. Correlation और Volatility
- FII का निवेश अक्सर short-term होता है और global news से प्रभावित होता है इससे Nifty में तेज उतार-चढ़ाव हो सकता है।
- DII का निवेश long-term होता है ये गिरते बाजार में खरीदारी करके Nifty को संभालते हैं।
📈 4. Post-Demonetization और Pandemic Impact
- एक रिपोर्ट के अनुसार, demonetization के बाद FII और DII का Nifty पर प्रभाव सकारात्मक हो गया।
- COVID-19 के बाद DII ने बाजार को स्थिरता दी, जबकि FII ने mixed signals दिए।
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🧠 निष्कर्ष:
FII और DII निवेशक हैं, जो अपने निवेश से Nifty की दिशा तय करते हैं। इनकी गतिविधिया liquidity, volatility और investor sentiment को shape करती हैं।
📈 एक ही ग्राफ में FII, DII और Nifty को देखने के फायदे
- Market Sentiment का Instant Overview: Bullish या Bearish ट्रेंड तुरंत समझ में आता है।
- Contrarian Signals पकड़ना आसान: Reversal के संकेत जल्दी मिलते हैं।
- Trading Decisions में Speed: एक ही ग्राफ से तेजी से निर्णय लेना आसान होता है।
- Volatility का अंदाजा: विपरीत ट्रेडिंग से Nifty में उतार-चढ़ाव का अनुमान लगता है।
- Data-Driven Strategy: Historical patterns से बेहतर रणनीति बनती है।