Promoters, FII और DII कौन होते हैं? जानिए Institutional Investors और Stock Market के अहम Players
निवेश की दुनिया में अक्सर कुछ शब्द सुनाई देते हैं
Promoters, FII (Foreign Institutional Investors), और DII (Domestic Institutional Investors)। पर इनका असली मतलब क्या है? और ये मार्केट को कैसे प्रभावित करते हैं? चलिए आसान भाषा में आपको समझाता हूं।
1. Who are promoters, FII, and DII?
आज आप इस आर्टिकल में जानेंगे की Promoters किसको कहा जाता है ? Promoters किसी कंपनी के संस्थापक या मालिक होते हैं। ये वो लोग या ग्रुप होते हैं जो कंपनी की शुरुआत करते हैं, और उसका vision, structure और नियंत्रण तय करते हैं।
FII (Foreign Institutional Investors) वे विदेशी संस्थान हैं जो भारतीय शेयर बाजार में बड़ी मात्रा में निवेश करते हैं। जैसे – mutual funds, pension funds, hedge funds आदि।
DII (Domestic Institutional Investors) भारतीय संस्थागत निवेशक होते हैं, जैसे LIC, SBI Mutual Fund, ICICI Prudential आदि। ये घरेलू संस्थानों के जरिए निवेश करते हैं और FII की तुलना में long-term vision रखते हैं।
2. What are institutional stocks?
जब कोई कंपनी ऐसी होती है जिसमें बड़ी मात्रा में FII या DII निवेश कर रहे होते हैं, तो उसे Institutional Stock कहा जाता है। ये स्टॉक्स आमतौर पर high-volume, fundamentally strong और long-term investment के लिए उपयुक्त माने जाते हैं।
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3. Why are FII and DII opposite?
बाजार में कई बार ऐसा देखा गया है कि FII खरीद रहे होते हैं तो DII बेचते हैं, या इसके विपरीत। इसके पीछे कुछ प्रमुख कारण हैं:
Different Investment Strategy: FII short-term trends पर ज्यादा फोकस करते हैं जबकि DII लंबी अवधि की रणनीति अपनाते हैं।
Currency Impact: FII को रुपये की कीमत में उतार-चढ़ाव का सीधा असर पड़ता है।
Market Sentiment Response: कई बार DII market को stabilize करने के लिए FII की बेचने की activity के समय खरीददारी करते हैं।
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यह असमानता healthy competition और liquidity को बढ़ावा देती है जिससे market में संतुलन बना रहता है।